Surat At-Tawba (The Repentance) - التوبة
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9:100 وَٱلسَّٰبِقُونَ ٱلْأَوَّلُونَ مِنَ ٱلْمُهَٰجِرِينَ وَٱلْأَنصَارِ وَٱلَّذِينَ ٱتَّبَعُوهُم بِإِحْسَٰنٍ رَّضِىَ ٱللَّهُ عَنْهُمْ وَرَضُوا۟ عَنْهُ وَأَعَدَّ لَهُمْ جَنَّٰتٍ تَجْرِى تَحْتَهَا ٱلْأَنْهَٰرُ خَٰلِدِينَ فِيهَآ أَبَدًا ذَٰلِكَ ٱلْفَوْزُ ٱلْعَظِيمُ ﴿١٠٠﴾ और मुहाजिरीन व अन्सार में से (ईमान की तरफ) सबक़त (पहल) करने वाले और वह लोग जिन्होंने नेक नीयती से (कुबूले ईमान में उनका साथ दिया ख़ुदा उनसे राज़ी और वह ख़ुदा से ख़ुश और उनके वास्ते ख़ुदा ने (वह हरे भरे) बाग़ जिन के नीचे नहरें जारी हैं तैयार कर रखे हैं वह हमेशा अब्दआलाबाद (हमेशा) तक उनमें रहेगें यही तो बड़ी कामयाबी हैं | ||