Surat At-Tawba (The Repentance) - التوبة
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9:124 وَإِذَا مَآ أُنزِلَتْ سُورَةٌ فَمِنْهُم مَّن يَقُولُ أَيُّكُمْ زَادَتْهُ هَٰذِهِۦٓ إِيمَٰنًا فَأَمَّا ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ فَزَادَتْهُمْ إِيمَٰنًا وَهُمْ يَسْتَبْشِرُونَ ﴿١٢٤﴾ और जब कोई सूरा नाज़िल किया गया तो उन मुनाफिक़ीन में से (एक दूसरे से) पूछता है कि भला इस सूरे ने तुममें से किसी का ईमान बढ़ा दिया तो जो लोग ईमान ला चुके हैं उनका तो इस सूरे ने ईमान बढ़ा दिया और वह वहां उसकी ख़ुशियाँ मनाते है | ||