Surat At-Tawba (The Repentance) - التوبة
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9:42 لَوْ كَانَ عَرَضًا قَرِيبًا وَسَفَرًا قَاصِدًا لَّٱتَّبَعُوكَ وَلَٰكِنۢ بَعُدَتْ عَلَيْهِمُ ٱلشُّقَّةُ وَسَيَحْلِفُونَ بِٱللَّهِ لَوِ ٱسْتَطَعْنَا لَخَرَجْنَا مَعَكُمْ يُهْلِكُونَ أَنفُسَهُمْ وَٱللَّهُ يَعْلَمُ إِنَّهُمْ لَكَٰذِبُونَ ﴿٤٢﴾ (ऐ रसूल) अगर सरे दस्त फ़ायदा और सफर आसान होता तो यक़ीनन ये लोग तुम्हारा साथ देते मगर इन पर मुसाफ़त (सफ़र) की मशक़क़त (सख्ती) तूलानी हो गई और अगर पीछे रह जाने की वज़ह से पूछोगे तो ये लोग फौरन ख़ुदा की क़समें खॉएगें कि अगर हम में सकत होती तो हम भी ज़रूर तुम लोगों के साथ ही चल खड़े होते ये लोग झूठी कसमें खाकर अपनी जान आप हलाक किए डालते हैं और ख़ुदा तो जानता है कि ये लोग बेशक झूठे हैं | ||