Surat At-Tawba (The Repentance) - التوبة
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9:83 فَإِن رَّجَعَكَ ٱللَّهُ إِلَىٰ طَآئِفَةٍ مِّنْهُمْ فَٱسْتَـْٔذَنُوكَ لِلْخُرُوجِ فَقُل لَّن تَخْرُجُوا۟ مَعِىَ أَبَدًا وَلَن تُقَٰتِلُوا۟ مَعِىَ عَدُوًّا إِنَّكُمْ رَضِيتُم بِٱلْقُعُودِ أَوَّلَ مَرَّةٍ فَٱقْعُدُوا۟ مَعَ ٱلْخَٰلِفِينَ ﴿٨٣﴾ तो (ऐ रसूल) अगर ख़ुदा तुम इन मुनाफेक़ीन के किसी गिरोह की तरफ (जिहाद से सहीसालिम) वापस लाए फिर तुमसे (जिहाद के वास्ते) निकलने की इजाज़त माँगें तो तुम साफ़ कह दो कि तुम मेरे साथ (जिहाद के वास्ते) हरगिज़ न निकलने पाओगे और न हरगिज़ दुश्मन से मेरे साथ लड़ने पाओगे जब तुमने पहली मरतबा (घर में) बैठे रहना पसन्द किया तो (अब भी) पीछे रह जाने वालों के साथ (घर में) बैठे रहो | ||