Surat Al-Balad (The City) - البلد
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90:13 فَكُّ رَقَبَةٍ ﴿١٣﴾ أَوْ إِطْعَٰمٌ فِى يَوْمٍ ذِى مَسْغَبَةٍ﴿١٤﴾ يَتِيمًا ذَا مَقْرَبَةٍ﴿١٥﴾ أَوْ مِسْكِينًا ذَا مَتْرَبَةٍ﴿١٦﴾ ثُمَّ كَانَ مِنَ ٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَتَوَاصَوْا۟ بِٱلصَّبْرِ وَتَوَاصَوْا۟ بِٱلْمَرْحَمَةِ﴿١٧﴾ किसी (की) गर्दन का (गुलामी या कर्ज से) छुड़ाना या भूख के दिन रिश्तेदार यतीम या ख़ाकसार मोहताज को खाना खिलाना फिर तो उन लोगों में (शामिल) हो जाता जो ईमान लाए और सब्र की नसीहत और तरस खाने की वसीयत करते रहे | ||