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<-In Praise of God

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When he (upon him be peace) began to supplicate, he would begin with praise and laudation of God (Mighty and Majestic is He).

التَّحْمِيدُ لِلَّهِ عَزَّ وَ جَلَّ

أَلْحَمْدُ للهِ
सब तारीफ़ उस अल्लाह के लिये है
الاوَّلِ بِلا أَوَّل كَانَ قَبْلَهُ،
जो ऐसा अव्वल है जिसके पहले कोई अव्वल न था
وَ الاخِر بِلاَ آخِر يَكُونُ بَعْدَهُ
और ऐसा आखिर है जिसके बाद कोई आखिर न होगा
،الَّذِي قَصُرَتْ عَنْ رُؤْيَتِهِ أَبْصَارُ النَّاظِرِينَ
वह ख़ुदा जिसके देखने से देखने वालों की आंखें आजिज़
وَ عَجَزَتْ عَنْ نَعْتِهِ أَوهامُ اَلْوَاصِفِينَ
और जिसकी तौसीफ़ व सना से वसफ़ बयान करने वालों की अक़्लें क़ासिर हैं
ابْتَدَعَ بِقُدْرَتِهِ الْخَلْقَ اَبتِدَاعَاً،
उसने कायनात को अपनी क़ुदरत से पैदा किया
وَاخْتَرَعَهُمْ عَلَى مَشِيَّتِهِ اخترَاعاً،
और अपने मन्शाए अज़मी से जैसा चाहा उन्हें ईजाद किया
ثُمَّ سَلَكَ بِهِمْ طَرِيقَ إرَادَتِهِ،
फिर उन्हें अपने इरादे के रास्ते पर चलाया
وَبَعَثَهُمْ فِي سَبِيلِ مَحَبَّتِهِ
और अपनी मोहब्बत की राह पर उभारा
لايَمْلِكُونَ تَأخِيراً عَمَا قَدَّمَهُمْ إليْهِ
जिन हुदूद की तरफ़ उन्हें आगे बढ़ाया है उनसे पीछे रहना
وَلا يَسْتَطِيعُونَ تَقَدُّماً إلَى مَا أَخَّرَهُمْ عَنْهُ،
और जिनसे पीछे रखा है उनसे आगे बढ़ना उनके क़ब्ज़ा व इख़्तेयार से बाहर है
وَ جَعَلَ لِكُلِّ رُوْح مِنْهُمْ
उसी ने हर (ज़ी) रूह के लिये अपने (पैदा कर्दा) रिज़्क़ से
قُوتَاً مَعْلُوماً مَقْسُوماً مِنْ رِزْقِهِ
मुअय्यन व मालूम रोज़ी मुक़र्रर कर दी है
لاَ يَنْقُصُ مَنْ زادَهُ نَاقِصٌ،
जिसे ज़्यादा दिया है उसे कोई घटाने वाला घटा नहीं सकता
وَلاَ يَزِيدُ مَنْ نَقَصَ منْهُمْ زَائِدٌ
और जिसे कम दिया है उसे कोई बढ़ाने वाला बढ़ा नहीं सकता
ثُمَّ ضَرَبَ لَهُ فِي الْحَيَاةِ أَجَلاً مَوْقُوتاً،
फ़िर यह के उसी ने उसकी ज़िन्दगी का एक वक़्त मुक़र्रर कर दिया
وَ نَصَبَ لَهُ أَمَداً مَحْدُوداً،
और एक मुअय्यना मुद्दत उसके लिये ठहरा दी
يَتَخَطَّأُ إلَيهِ بِأَيَّامِ عُمُرِهِ،
जिस मुद्दत की तरफ़ वह अपनी ज़िन्दगी के दिनों से बढ़ता
وَيَرْهَقُهُ بِأَعْوَامِ دَهْرِهِ،
और अपने ज़मानाए ज़ीस्त के सालों से उसके नज़दीक होता है
حَتَّى إذَا بَلَغَ أَقْصَى أَثَرِهِ،
यहाँ तक के जब ज़िन्दगी की इन्तेहा को पहुँच जाता है
وَ اسْتَوْعَبَ حِسابَ عُمُرِهِ،
और अपनी उम्र का हिसाब पूरा कर लेता है
قَبَضهُ إلَى ما نَدَبَهُ إلَيْهِ
तो अल्लाह उसे अपने सवाब बे पायाँ तक जिसकी तरफ़ उसे बुलाया था
مِنْ مَوْفُورِ ثَوَابِهِ أَوْ مَحْذُورِ عِقَابِهِ،
या ख़ौफ़नाक अज़ाब की जानिब जिसे बयान कर दिया था पहुंचा देता है
لِيَجْزِيَ الَّذِينَ أَساءُوا بِمَا عَمِلُوا
ताके बुरों को उनकी बद आमालियों की सज़ा
وَ يَجْزِىَ الَّذِينَ أَحْسَنُوا بِالْحُسْنَى
और नेकोकारों को अच्छा बदला दे
عَدْلاً مِنْهُ تَقَدَّسَتْ أَسْمَآؤُهُ،
अपने अद्ल की बुनियाद पर (उसके नाम पाकीज़ा
وَتَظَاهَرَتْ ألاؤُهُ،
और उसकी नेमतों का सिलसिला लगातार है)
لاَ يُسْأَلُ عَمَّا يَفْعَلُ وَهُمْ يُسْأَلُونَ
वह जो करता है उसकी पूछगछ उससे नहीं हो सकती और लोगों से बहरहाल बाज़पुर्श होगी
وَالْحَمْدُ للهِ الَّذِي لَوْ حَبَسَ عَنْ عِبَادِهِ مَعْرِفَةَ
तमाम तारीफ़ उस अल्लाह के लिये हैं के अगर वह अपने बन्दों को हम्द व शुक्र की मारेफ़त से महरूम रखता
حَمْدِهِ عَلَى مَا أَبْلاَهُمْ مِنْ مِنَنِهِ الْمُتَتَابِعَةِ
उन पैहम अतीयों (अता) पर जो उसने दिये हैं
وَأَسْبَغَ عَلَيْهِمْ رمِنْ نِعَمِهِ الْمُتَظَاهِرَة
और उन पै दर पै नेमतों पर जो उसने फरावानी से बख़्शी हैं
لَتَصرَّفُوا فِي مِنَنِهِ فَلَمْ يَحْمَدُوهُ
तो वह उसकी नेमतों में तसर्रूफ़ तो करते मगर उसकी हम्द न करते
وَتَوَسَّعُوا فِي رِزْقِهِ فَلَمْ يَشْكُرُوهُ،
और उसके रिज़्क़ में फ़ारिग़लबाली से बसर तो करते मगर उसका शुक्र न बजा लाते
وَلَوْ كَانُوا كَذلِكَ لَخَرَجُوا مِنْ حُدُودِ الانْسَانِيَّةِ
और ऐसे होते तो इन्सानियत की हदों से निकल कर
إلَى حَدِّ الْبَهِيمِيَّةِ،
चौपायों की हद में आ जाते
فَكَانُوا كَمَا وَصَفَ فِي مُحْكَم كِتَابِهِ
और उस तौसीफ़ के मिस्दाक़ होते जो उसने अपनी मोहकम किताब में की है
إنْ هُمْ إلا كَالانْعَامِ بَلْ هُمْ أَضَلُّ سَبِيلا )
' वह तो बस चौपायों के मानिन्द हैं बल्कि उनसे भी ज़्यादा राहे रास्त से भटके हुए।'
وَالْحَمْدُ لله عَلَى مَا عَرَّفَنا من نفسه
तमाम तारीफ़ अल्लाह के लिये हैं के उसने अपनी ज़ात को हमें पहचनवाया
وَأَلْهَمَنَا مِنْ شُكْرِهِ
और हम्द व शुक्र का तरीक़ा समझाया
وَفَتَحَ لَنَا من أبوَابِ الْعِلْمِ بِرُبُوبِيّته
और अपनी परवरदिगारी पर इल्म व इत्तेलाअ के दरवाज़े हमारे लिये खोल दिये
وَدَلَّنَا عَلَيْهِ مِنَ الاِخْلاَصِ لَهُ فِي تَوْحِيدِهِ
और तौहीद में तन्ज़िया व इख़लास की तरफ़ रहनुमाई की
وَجَنَّبَنا مِنَ الالْحَادِ وَالشَّكِّ فِي أَمْرِهِ،
और अपने मुआमले में शिर्क व कजरवी से हमें बचाया
حَمْداً نُعَمَّرُ بِهِ فِيمَنْ حَمِدَهُ مِنْ خَلْقِهِ
ऐसी हम्द जिसके ज़रिये हम उसकी मख़लूक़ात में से हम्दगुज़ारों में ज़िन्दगी बसर करें
وَنَسْبِقُ بِـهِ مَنْ سَبَقَ إلَى رِضَاهُ وَعَفْوِهِ
और उसकी ख़ुशनूदी व बख़्शिश की तरफ़ बढ़ने वालों से सबक़त ले जाएं।
حَمْداً يُضِيءُ لَنَا بِهِ ظُلُمَاتِ الْبَرْزَخِ
ऐसी हम्द जिसकी बदौलत हमारे लिये बरज़क़ की तारीकियां छट जाएं
وَيُسَهِّلُ عَلَيْنَا بِهِ سَبِيلَ الْمَبْعَثِ
और जो हमारे लिये क़यामत की राहों को आसान कर दे
وَيُشَرِّفُ بِهِ مَنَازِلَنَا عِنْدَ مَوَاقِفِ الاشْهَادِ
और हमारी क़द्र व मन्ज़िलत को बलन्द कर दे
يَوْمَ تُجْزَى كُلُّ نَفْس بِمَا كَسَبَتْ وَهُمْ لا يُظْلَمُونَ
'जिस दिन हर एक को उसके किये काम का सिला मिलेगा और उन पर किसी तरह का ज़ुल्म न होगा' (45:21)
يَوْمَ لاَ يُغْنِي مَوْلىً عَنْ مَوْلىً شَيْئاً وَلاَ هُمْ يُنْصَرُونَ)
जिस दिन दोस्त किसी दोस्त के कुछ काम न आएगा और न उनकी मदद की जाएगी
حَمْداً يَرْتَفِعُ مِنَّا إلَى أَعْلَى عِلِّيِّينَ
ऐसी हम्द हो हमारी तरफ़ से जो बेहिश्त बरीं के बलन्द तरीन दरजात तक बलन्द हो
فِي كِتَاب مَرْقُوم يَشْهَدُهُ الْمُقَرَّبُونَ،
एक लिखी हुई किताब में है जिसकी मुक़र्रब फ़रिश्ते निगेहदाश्त करते हैं
حَمْداً تَقَرُّ بِهِ عُيُونُنَا إذَا بَرِقَت الابْصَارُ
ऐसी हम्द जिससे हमारी आँखों में ठण्डक आए जबके तमाम आँखें हैरत व दहशत से फटी की फटी रह जाएंगी
وَتَبْيَضُّ بِهِ وُجُوهُنَا إذَا اسْوَدَّتِ الابْشَارُ،
और हमारे चेहरे रौशन व दरख़्शाँ हों जबके तमाम चेहरे सियाह होंगे
حَمْداً نُعْتَقُ بِهِ مِنْ أَلِيمِ نار الله
ऐसी हम्द जिसके ज़रिये हम अल्लाह तआला की भड़काई हुई अज़ीयतदेह आग से आज़ादी पाकर
الى كَرِيمِ جِوَارِ اللهِ
उसके जवारे रहमत में आ जाएं।
حَمْداً نُزَاحِمُ بِهِ مَلاَئِكَتَهُ الْمُقَرَّبِينَ
ऐसी हम्द जिसके ज़रिये हम इसके मुक़र्रब फ़रिश्तों के साथ शाना ब शाना बैठते हुए टकराएं
وَنُضَامُّ بِـهِ أَنْبِيآءَهُ الْمُـرْسَلِيْنَ
उसके फ़र्सतावा पैग़म्बरों के साथ यकजा हों
فِي دَارِ الْمُقَامَةِ الَّتِي لا تَزُولُ
उस मन्ज़िले जावेद में
وَمَحَلِّ كَرَامَتِهِ الَّتِي لاَ تَحُولُ
व मक़ामे इज़्ज़त व रिफ़अत में जिसे तग़य्युर व ज़वाल नहीं
وَالْحَمْدُ للهِ الَّذِي اخْتَارَ لَنَا مَحَاسِنَ الْخَلْقِ
तमाम तारीफ़ उस अल्लाह के लिये है जिसने खि़लक़त व आफ़रीन्श की तमाम ख़ूबियाँ हमारे लिये मुन्तख़ब कीं
وَأَجرى عَلَيْنَا طَيِّبَاتِ الرِّزْقِ
और पाक व पाकीज़ा रिज़्क़ का सिलसिला हमारे लिये जारी किया
وَجَعَلَ لَنَا الفَضِيلَةَ بِالْمَلَكَةِ عَلَى جَمِيعِ الْخَلْقِ
और हमें ग़लबा व तसल्लत देकर तमाम मख़लूक़ात पर बरतरी अता की
فَكُلُّ خَلِيقَتِهِ مُنْقَادَةٌ لَنَا بِقُدْرَتِهِ،
चुनांचे तमाम कायनात उसकी क़ुदरत से हमारे ज़ेरे फ़रमान है
وَصَآئِرَةٌ إلَى طَاعَتِنَا بِعِزَّتِهِ
और उसकी क़ूवते सरबलन्दी की बदौलत हमारी इताअत पर आमादा है
وَالْحَمْدُ لله الَّذِي أَغْلَقَ عَنَّا بَابَ الْحَّاجَةِ إلاّ إلَيْهِ
तमाम तारीफ़ उस अल्लाह तआला के लिये हैं जिसने अपने सिवा तलब व हाजत का हर दरवाज़ा हमारे लिये बन्द कर दिया
فَكَيْفَ نُطِيقُ حَمْدَهُ أَمْ مَتَى نُؤَدِّي شُكْرَهُ؟ لا، مَتى؟
तो हम (उस हाजत व एहतियाज के होते हुए) कैसे उसकी हम्द से ओहदा बरआ हो सकते हैं और कब उसका शुक्र अदा कर सकते हैं ? नहीं! किसी वक़्त भी उसका शुक्र अदा नहीं हो सकता
وَالْحَمْدُ للهِ الَّذِي رَكَّبَ فِينَا آلاَتِ الْبَسْطِ
तमाम तारीफ़ उस अल्लाह के लिये है जिसने हमारे (जिस्मों में) फैलने वाले आसाब
وَجَعَلَ لَنَا أدَوَاتِ الْقَبْضِ،
और सिमटने वाले अज़लात तरतीब दिये
وَمَتَّعَنا بِاَرْواحِ الْحَياةِ
और ज़िन्दगी की आसाइशों से बहरामन्द किया
وَأثْبَتَ فِينَا جَوَارِحَالاعْمَال
और कार व कसब के आज़ा हमारे अन्दर वदीअत फ़रमाए
وَغَذَّانَا بِطَيِّبَاتِ الرِّزْقِ ،
और पाक व पाकीज़ा रोज़ी से हमारी परवरिश की
وَأغْنانَا بِفَضْلِهِ
और अपने फ़ज़्ल व करम के ज़रिये हमें बेनियाज़ कर दिया
وَأقْنانَا بِمَنِّهِ
और अपने लुत्फ़ व एहसान से हमें (नेमतों का) सरमाया बख़्शा
ثُمّ أَمَرَنَا لِيَخْتَبِرَطاعَتَنَا،
फिर उसने अपने अम्र की पैरवी का हुक्म दिया ताके फ़रमाबरदारी में हमको आज़माए
وَنَهَانَا لِيَبْتَلِيَ شُكْرَنَا فَخَالَفْنَا عَنْ طَرِيْقِ أمْرِهِ
और नवाही के इरतेकाब से मना किया ताके हमारे शुक्र को जांचे मगर हमने उसके हुक्म की राह से इन्हेराफ़ किया
وَرَكِبْنا مُتُونَ زَجْرهِ ِ
और नवाही के मरकब पर सवार हो लिये
فَلَم يَبْتَدِرْنابِعُقُوبَتِه وَلَمْ يُعَاجِلْنَا بِنِقْمَتِهِ
फिर भी उसने अज़ाब में जल्दी नहीं की, और सज़ा देने में ताजील से काम नहीं लिया
بَلْ تَانَّانا بِرَحْمَتِهِ تَكَرُّماً، وَانْتَظَرَ مُراجَعَتَنَا بِرَأفَتِهِ حِلْماً.
बल्कि अपने करम व रहमत से हमारे साथ नरमी का बरताव किया और हिल्म व राफ़्त से हमारे बाज़ आ जाने का मुन्तज़िर रहा
وَالْحَمْدُ للهِ الَّذِي دَلَّنَاعَلَى التَّوْبَةِ
तमाम तारीफ़ उस अल्लाह के लिये है जिसने हमें तौबा की राह बताई
الَّتِي لَمْ نُفِدْهَا إلاّ مِنْ فَضْلِهِ،
के जिसे हमने सिर्फ़ उसके फ़ज़्ल व करम की बदौलत हासिल किया है
فَلَوْ لَمْ نَعْتَدِدْ مِنْ فَضْلِهِ
तो अगर हम उसकी बख़्शिशों में से इस तौबा के सिवा और कोई नेमत शुमार में न लाएं
إلاّ بِهَالَقَدْ حَسُنَ بَلاؤُهُ عِنْدَنَا،
तो यही तौबा हमारे हक़ में इसका उमदा इनआम,
وَ جَلَّ إحْسَانُهُ إلَيْنَا،
बड़ा एहसान
وَ جَسُمَ فَضْلُهُ عَلَيْنَا
और अज़ीम फ़ज़्ल है
فَمَا هكذا كَانَتْ سُنَّتُهُ فِي التَّوْبَةِ
इसलिये के तौबा के बारे में उसका यह रवय्या न था
لِمَنْ كَانَ قَبْلَنَا
हमसे पहले लोगों के लिये
لَقَدْ وَضَعَ عَنَّا
उसने तो हमसे हटा ली
مَا لا طَاقَةَ لَنَا بِهِ،
वह चीज़ जिसके बरदाश्त करने की हमें ताक़त नहीं है
وَلَمْ يُكَلِّفْنَا إلاّ وُسْعاً،
और हमारी ताक़त से बढ़कर हम पर ज़िम्मादारी आएद नहीं की
وَ لَمْ يُجَشِّمْنَا إلاّ يُسْراً
और सिर्फ़ सहल व आसान चीज़ों की हमें तकलीफ़ दी है
وَلَمْ يَدَعْ لاَحَـد مِنَّا حُجَّةً وَلاَ عُذْراً
और हम में से किसी एक के लिये हील व हुज्जत की गुन्जाइश नहीं रहने दी
فَالْهَالِكُ مِنَّا مَنْ هَلَكَ عَلَيْهِ
लेहाज़ा वही तबाह होने वाला है जो उसकी मन्शा के खि़लाफ़ अपनी तबाही का सामान करे
وَ السَّعِيدُ مِنَّا مَنْرَغِبَ إلَيْهِ
और वही ख़ुशनसीब है जो उसकी तरफ़ तवज्जो व रग़बत करे।
وَ الْحَمْد للهِ بِكُلِّ مَا حَمِدَهُ بِهِ
अल्लाह के लिये हम्द व सताइश है हर वह हम्द जो
أدْنَى مَلائِكَتِهِ إلَيْهِ
उसके मुक़र्रब फ़रिश्ते
وَ أَكْرَمُ خَلِيقَتِهِ عَلَيْهِ
बुज़ुर्गतरीन मख़लूक़ात
وَأرْضَىحَامِدِيْهِ لَدَيْهِ
और पसन्दीदा हम्द करने वाले बजा लाते हैं।
حَمْداً يَفْضُلُ سَآئِرَ الْحَمْدِ
ऐसी सताइश जो दूसरी सताइशों से बढ़ी चढ़ी हुई हो
كَفَضْلِ رَبِّنا عَلَى جَمِيعِ خَلْقِهِ
जिस तरह हमारा परवरदिगार तमाम मख़लूक़ात से बढ़ा हुआ है।
ثُمَّ لَهُ الْحَمْدُ
फिर उसी के लिये हम्द व सना है
مَكَانَ كُلِّ نِعْمَة لَهُ عَلَيْنَا
उसकी हर हर नेमत के बदले में हो
وَ عَلى جَمِيعِ عِبَادِهِ الْمَاضِينَ وَالْبَاقِينَ
जो उसने हमें और तमाम गुज़िश्ता व बाक़ीमान्दा बन्दों को बख़्शी है
عَدَدَ مَا أَحَاطَ بِهِ عِلْمُهُ مِنْ جَمِيعِالاشْيَآءِ
न तमाम चीज़ों के शुमार के बराबर जिन पर उसका इल्म हावी है
وَ مَكَانَ كُلِّ وَاحِدَة مِنْهَا عَدَدُهَا
और हर नेमत के मुक़ाबले में
أَضْعافَاً مُضَاعَفَةً أَبَداً سَرْمَداً إلَى يَوْمِ الْقِيَامَةِ
दो गुनी चौगुनी जो क़यामत के दिन तक दाएमी व अबदी हों
حَمْداً لاَ مُنْتَهَى لِحَدِّهِ
ऐसी हम्द जिसका कोई आखि़री कुफ़्फार
وَ لا حِسَابَ لِعَدَدِهِ
और जिसकी गिनती का कोई शुमार न हो
وَ لاَ مَبْلَغَ لِغَايَتِهِ
जिसकी हद व निहायत दस्तरस से बाहर
وَ لا انْقِطَاعَ لاَمَدِهِ
और जिसकी मुद्दत ग़ैर मुख़्तमिम हो
حَمْدَاً يَكُونُ وُصْلَةً إلَى طَاعَتِهِ وَعَفْوِهِ
ऐसी हम्द जो उसकी इताअत व बख़्शिष का वसीला,
وَ سَبَباً إلَى رِضْوَانِهِ
उसकी रज़ामन्दी का सबब,
وَذَرِيعَةً إلَى مَغْفِرَتِهِ
उसकी मग़फ़ेरत का ज़रिया,
وَ طَرِيقاً إلَى جَنَّتِهِ
जन्नत का रास्ता,
وَخَفِيْراً مِنْ نَقِمَتِهِ
उसके अज़ाब से पनाह,
وَ أَمْناً مِنْ غَضَبِهِ
उसके ग़ज़ब से अमान,
وَ ظَهِيْراً عَلَى طَاعَتِهِ
उसकी इताअत में मुअय्यन,
وَ حَاجِزاً عَنْ مَعْصِيَتِهِ
उसकी मासियत से मानेअ
وَعَوْناً عَلَى تَأدِيَةِ حَقِّهِ وَ وَظائِفِهِ
और उसके हुक़ूक़ व वाजेबात की अदायगी में मददगार हो
حَمْداً نَسْعَدُ بِهِ فِي السُّعَدَاءِ مِنْ أَوْلِيَآئِهِ
ऐसी हम्द जिसके ज़रिये उसके ख़ुशनसीब दोस्तों में शामिल होकर ख़ुश नसीब क़रार पाएं
وَنَصِيرُ بِهِ فِي نَظْمِ الشُّهَدَآءِ بِسُيُوفِ أَعْدَائِهِ
और शहीदों के ज़मरह में शुमार हों जो उसके दुश्मनों की तलवारों से शहीद हुए,
إنَّهُ وَلِيٌّ حَمِيدٌ
बेशक वही मालिक मुख़्तार और क़ाबिले सताइश है।

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