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<-Blessing upon the Bearers of the Throne

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A Supplication in Calling down Blessings upon the Bearers of the Throne and Every Angel Brought Nigh

الصَّلَاةُ عَلَى حَمَلَةِ الْعَرْشِ و كلّ مَلَكٍ مقرّبٍ

اللَّهُمَّ وَحَمَلَةُ عَرْشِكَ الَّذِينَ لا يَفْتُرُونَ مِنْ تَسْبِيحِكَ،
ऐ अल्लाह! तेरे अर्श के उठाने वाले फ़रिश्ते जो तेरी तस्बीह से उकताते नहीं हैं
وَلا يَسْـأَمُـونَ مِنْ تَقْـدِيْسِكَ،
और तेरी पाकीज़गी के बयान से थकते नहीं
وَلا يَسْتَحسِرُونَ مِنْ عِبَادَتِكَ،
और न तेरी इबादत से ख़स्ता व मलूल होते हैं
وَلاَ يُؤْثِرُونَ التَّقْصِيرَ عَلَى الْجِدِّ فِي أَمْرِكَ،
और न तेरे तामीले अम्र में सई व कोशिश के बजाए कोताही बरतते हैं
وَلا يَغْفُلُونَ عَنِ الْوَلَهِ إلَيْكَ.
और न तुझसे लौ लगाने से ग़ाफ़िल होते हैं
وَإسْرافِيْلُ صَاحِبُ الصُّوْرِ، الشَّاخِصُ الَّذِي يَنْتَظِرُ
और इसराफ़ील (अ0) साहेबे सूर जो नज़र उठाए हुए तेरी इजाज़त और
مِنْكَ الاذْنَ وَحُلُولَ الامْرِ، فَيُنَبِّهُ بِالنَّفْخَةِ
निफ़ाज़े हुक्म के मुन्तज़िर हैं ताके सूर फूंक कर
صَرْعى رَهَائِنِ الْقُبُورِ. وَمِيكَآئِيلُ ذُو الْجَاهِ عِنْدَكَ،
क़ब्रों में पड़े हुए मुर्दों को होशियार करें और मीकाईल (अ0) जो तेरे यहाँ मरतबे वाले
وَالْمَكَانِ الرَّفِيعِ مِنْ طَاعَتِكَ.
और तेरी इताअत की वजह से बलन्द मन्ज़िलत हैं
وَجِبْريلُ الامِينُ عَلَى وَحْيِكَ،
और जिबरील (अ0) जो तेरी वही के अमानतदार
الْمُطَاعُ فِي أَهْلِ سَمَاوَاتِكَ،
और अहले आसमान जिनके मुतीअ व फ़रमाँबरदार हैं
الْمَكِينُ لَدَيْكَ، الْمُقَرَّبُ عِنْدَكَ،
और तेरी बारगाह में मक़ामे बलन्द और तक़र्रूबे ख़ास रखते हैं
وَالرُّوحُ الَّذِي هُوَ عَلَى مَلائِكَةِ الْحُجُبِ،
और वह रूह जो फ़रिश्तगाने हिजाब पर मोक्किल है
وَالرُّوحُ الَّذِي هُوَ مِنْ أَمْرِكَ.
और वह रूह जिसकी खि़लक़त तेरे आलमे अम्र से है
أَللَّهُمَّ فَصَلِّ عليهم وَعَلَى الْمَلاَئِكَـةِ
इन सब पर अपनी रहमत नाज़िल फ़रमा और इसी तरह उन फ़रिश्तों पर जो उनसे कम दरजा
الَّـذِينَ مِنْ دُونِهِمْ مِنْ سُكَّـانِ سَمَاوَاتِكَ
और आसमानों में साकिन
وَأَهْلِ الامَانَةِ عَلَى رِسَالاَتِكَ،
और तेरे पैग़ामों के अमीन हैं
وَالَّذِينَ لا تَدْخُلُهُمْ سَأْمَةٌ مِنْ دؤُوب ،
और उन फ़रिश्तों पर जिनमें किसी सई व कोशिष से बद्दिली
وَلاَ إعْيَاءٌ مِنْ لُغُوب وَلاَ فُتُورٌ،
और किसी मशक़्क़त से ख़स्तगी व दरमान्दगी पैदा नहीं होती
وَلاَ تَشْغَلُهُمْ عَنْ تَسْبِيحِكَ الشَّهَوَاتُ،
और न तेरी तस्बीह से नफ़सानी ख़्वाहिशें उन्हें रोकती हैं
وَلا يَقْطَعُهُمْ عَنْ تَعْظِيمِكَ سَهْوُ الْغَفَـلاَتِ،
और न उनमें ग़फ़लत की रू से ऐसी भूल चूक पैदा होती है जो उन्हें तेरी ताज़ीम से बाज़ रखे
الْخُشَّعُ الابْصارِ فلا يَرُومُونَ النَّظَرَ إلَيْكَ ،
वह आँखें झुकाए हुए हैं के (तेरे नूरे अज़मत की तरफ़ निगाह उठाने का भी इरादा नहीं करते
النَّواكِسُ الاذْقانِ الَّذِينَ قَدْ طَالَتْ رَغْبَتُهُمْ فِيمَا لَدَيْكَ
और ठोड़ियों के बल गिरे हुए हैं और तेरे यहाँ के दरजात की तरफ़ उनका इश्तियाक़ बेहद व बेनिहायत है
الْمُسْتَهْتِرُونَ بِذِكْرِ آلائِكَ
और तेरी नेमतों की याद में खोए हुए हैं
وَالْمُتَوَاضِعُونَ دُونَ عَظَمَتِكَ وَجَلاَلِ كِبْرِيآئِكَ
और तेरी अज़मत व जलाले किबरियाई के सामने सराफ़गन्दा हैं,
وَالَّذِينَ يَقُولُونَ إذَا نَظَرُوا إلَى جَهَنَّمَ تَزْفِرُ عَلَى أَهْلِ مَعْصِيَتِكَ:
और उन फ़रिश्तों पर जो जहन्नुम को गुनहगारों पर शोलावर देखते हैं तो कहते हैंः-
سُبْحَانَكَ مَا عَبَدْنَاكَ حَقَّ عِبَـادَتِكَ.
पाक है तेरी ज़ात! हमने तेरी इबादत जैसा हक़ था वैसी नहीं की।
فَصَـلِّ عَلَيْهِمْ وَعَلَى الرَّوْحَانِيِّينَ مِنْ مَلائِكَتِكَ،
(ऐ अल्लाह!) तू उन पर और फ़रिश्तगाने रहमत पर
وَ أهْلِ الزُّلْفَةِ عِنْدَكَ، وَحُمَّالِ الْغَيْبِ إلى رُسُلِكَ،
और उन पर जिन्हें तेरी बारगाह में तक़र्रूब हासिल है और तेरे पैग़म्बरों (अ0) की तरफ़ छिपी हुई ख़बरें ले जाने वाले
وَالْمُؤْتَمَنِينَ على وَحْيِكَ وَقَبائِلِ الْمَلائِكَةِ الَّذِينَ اخْتَصَصْتَهُمْ لِنَفْسِكَ،
और तेरी वही के अमानतदार हैं और उन क़िस्म-क़िस्म के फ़रिश्तों पर जिन्हें तूने अपने लिये मख़सूस कर लिया है
وَأَغْنَيْتَهُمْ عَنِ الطَّعَامِ والشَّرَابِ بِتَقْدِيْسِكَ،
और जिन्हें तस्बीह व तक़दीस के ज़रिये खाने पीने से बेनियाज़ कर दिया है
وَأسْكَنْتَهُمْ بُطُونَ أطْبَـاقِ سَمَاوَاتِكَ،
और जिन्हें आसमानी तबक़ात के अन्दरूनी हिस्सों में बसाया है
وَالّذينَ عَلَى أرْجَآئِهَا إذَا نَزَلَ الامْرُ بِتَمَامِ وَعْدِكَ،
और उन फ़रिश्तों पर जो आसमानों के किनारों में तौक़ुफ़ करेंगे जबके तेरा हुक्म वादे के पूरा करने के सिलसिले में सादिर होगा
وَخزّانِ الْمَطَرِ وَزَوَاجِرِ السَّحَابِ،
और बारिश के ख़ज़ीनेदारों और बादलों के हंकाने वालों पर
وَالّذِي بِصَوْتِ زَجْرِهِ يُسْمَعُ زَجَلُ ألرُّعُوْدِ،
और उस पर जिसके झिड़कने से राद की कड़क सुनाई देती है
وَإذَا سَبَحَتْ بِهِ حَفِيفَةُ السّحَـابِ الْتَمَعَتْ صَوَاعِقُ الْبُرُوقِ.
और जब इस डांट डपट पर गरजने वाले बादल रवाँ होते हैं तो बिजली के कून्दे तड़पने लगते हैं
وَمُشَيِّعِيْ الْثَلْجِ وَالْبَرَدِ. وَالْهَابِطِينَ مَعَ قَطْرِ الْمَطَر إَذَا نَزَلَ،
और उन फ़रिश्तों पर जो बर्फ़ और ओलों के साथ-साथ उतरते हैं
وَالْقُوَّامِ عَلَى خَزَائِنِ الرّيَاحِ،
और हवा के ज़ख़ीरों की देखभाल करते हैं
وَ المُوَكَّلِينَ بِالجِبَالِ فَلا تَزُولُ.
और उन फ़रिश्तों पर जो पहाड़ों पर मोवक्किल हैं ताके वह अपनी जगह से हटने न पाएं
وَالَّذِينَ عَرَّفْتَهُمْ مَثَاقِيلَ الْمِياهِ،
और उन फ़रिश्तों पर जिन्हें तूने पानी के वज़न
وَكَيْلَ مَا تَحْوِيهِ لَوَاعِجُ الامْطَارِ وَعَوَالِجُهَا،
और मूसलाधार और तलातुम अफ़ज़ा बारिशों की मिक़दार पर मुतलेअ किया है
وَرُسُلِكَ مِنَ الْمَلائِكَةِ إلَى أهْلِ الارْضِ بِمَكْرُوهِ مَا يَنْزِلُ مِنَ الْبَلاءِ،
और उन फ़रिश्तों पर जो नागवार इब्तिलाओं और ख़ुश आइन्द आसाइशों को लेकर अहले ज़मीन की जानिब तेरे फ़र्सतादा हैं
وَمَحْبُوبِ الرَّخَآءِ، والسَّفَرَةِ الْكِرَامِ اَلبَرَرَةِ،
और उन पर जो आमाल का अहाता करने वाले गरामी मन्ज़िलत और नेकोकार हैं
وَالْحَفَظَةِ الْكِرَامِ الْكَاتِبِينَ، وَمَلَكِ الْمَوْتِ وَأعْوَانِهِ،
और उन पर जो निगेहबानी करने वाले करामन कातेबीन हैं और मलके अमलूत और उसके आवान व अन्सार
وَمُنْكَر وَنَكِير، وَرُومَانَ فَتَّانِ الْقُبُورِ،
और मुनकिर नकीर और अहले क़ुबूर की आज़माइश करने वाले रूमान पर
وَالطَّائِفِينَ بِالبَيْتِ الْمَعْمُورِ، وَمَالِك،
और बैतुलउमूर का तवाफ़ करने वालों पर और मालिक
وَالْخَزَنَةِ، وَرُضْوَانَ، وَسَدَنَةِ الْجِنَانِ
और जहन्नम के दरबानों पर और रिज़वान और जन्नत के दूसरे पासबानों पर
وَالَّذِيْنَ لاَ يَعْصُوْنَ اللّهَ مَا أمَرَهُمْ وَيَفْعَلُونَ مَا يُؤْمَرُونَ.
और उन फ़रिश्तों पर जो ख़ुदा के हुक्म की नाफ़रमानी नहीं करते और जो हुक्म उन्हें दिया जाता है उसे बजा लाते हैं
وَالَّذِينَ يَقُولُونَ: سَلاَمٌ عَلَيْكُمْ بِمَا صَبَرْتُمْ فَنِعْمَ عُقْبَى الـدّارِ.
और उन फ़रिश्तों पर जो (आख़ेरत में) सलाम अलैकुम के बाद कहेंगे के दुनिया में तुमने सब्र किया (यह उसी का बदला है) देखो तो आख़ेरत का घर कैसा अच्छा है
والزّبانيةُ الذّينَ إذَا قِيْـلَ لَهُمْ: خُذُوهُ فَغُلُّوْهُ
और दोज़ख़ के उन पासबानों पर के जब उनसे कहा जाएगा के उसे गिरफ़्तार करके तौक़ व ज़न्जीर पहना दो
ثُمَّ الْجَحِيمَ صَلُّوْهُ ابْتَدَرُوهُ سِرَاعاً وَلَمْ يُنْظِرُوهُ.
फिर उसे जहन्नुम में झोंक दो तो वह उसकी तरफ़ तेज़ी से बढ़ेंगे और उसे ज़रा मोहलत न देंगे।
وَمَنْ أوْهَمْنَا ذِكْرَهُ، وَلَمْ نَعْلَمْ مَكَانَهُ مِنْكَ،
और हर उस फ़रिश्ते पर जिसका नाम हमने नहीं लिया और न हमें मालूम है के उसका तेरे हाँ क्या मरतबा है
وَبأيِّ أمْر وَكَّلْتَهُ. وَسُكّانُ الْهَوَآءِ وَالارْضِ وَالمآءِ،
और यह के तूने किस काम पर उसे मुअय्यन किया है और हवा, ज़मीन और पानी में रहने वाले फ़रिश्तों पर
وَمَنْ مِنْهُمْ عَلَى الْخَلْقِ فَصَلِّ عَلَيْهِمْ
और उन पर जो मख़लूक़ात पर मुअय्यन हैं उन सब पर रहमत नाज़िल कर
يَوْمَ تَأْتي كُلُّ نَفْس مَعَهَا سَائِقٌ وَشَهِيدٌ،
उस दिन के जब हर शख़्स इस तरह आएगा के उसके साथ एक हंकाने वाला होगा और एक गवाही देने वाला
وَصَلّ عَلَيْهِمْ صَلاَةً تَزِيدُهُمْ كَرَامَةً عَلى كَرَامَتِهِمْ،
और उन सब पर ऐसी रहमत नाज़िल फ़रमा जो उनके लिये इज़्ज़त बालाए इज़्ज़त
وَطَهَارَةً عَلَى طَهَارَتِهِمْ
और तहारत बालाए तहारत का बाएस हो
اللّهُمَّ وَإذَا صَلَّيْتَ عَلَى مَلاَئِكَتِكَ وَرُسُلِكَ،
ऐ अल्लाह! जब तू अपने फ़रिश्तों और रसूलों पर रहमत नाज़िल करे
وَبَلَّغْتَهُمْ صَلاَتَنَا عَلَيْهِمْ، فَصَلِّ عَلَينا
और हमारे सलवात व सलाम को उन तक पहुंचाए तो हम पर भी अपनी रहमत नाज़िल करना
بِمَا فَتَحْتَ لَنَا مِنْ حُسْنِ الْقَوْلِ فِيْهِمْ إنَّكَ جَوَاْدٌ كَرِيمٌ .
इसलिये के तूने हमें उनके ज़िक्रे ख़ैर की तौफ़ीक़ बख़्शी। बेशक तू बख़्शने वाला और करीम है।

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