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BackSurat As-Saaffaat (Those drawn up in Ranks) - الصافات

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37:41

أُو۟لَٰٓئِكَ لَهُمْ رِزْقٌ مَّعْلُومٌ ﴿٤١﴾ فَوَٰكِهُ وَهُم مُّكْرَمُونَ﴿٤٢﴾ فِى جَنَّٰتِ ٱلنَّعِيمِ﴿٤٣﴾ عَلَىٰ سُرُرٍ مُّتَقَٰبِلِينَ﴿٤٤﴾ يُطَافُ عَلَيْهِم بِكَأْسٍ مِّن مَّعِينٍۭ﴿٤٥﴾ بَيْضَآءَ لَذَّةٍ لِّلشَّٰرِبِينَ﴿٤٦﴾ لَا فِيهَا غَوْلٌ وَلَا هُمْ عَنْهَا يُنزَفُونَ﴿٤٧﴾ وَعِندَهُمْ قَٰصِرَٰتُ ٱلطَّرْفِ عِينٌ﴿٤٨﴾ كَأَنَّهُنَّ بَيْضٌ مَّكْنُونٌ﴿٤٩﴾ فَأَقْبَلَ بَعْضُهُمْ عَلَىٰ بَعْضٍ يَتَسَآءَلُونَ﴿٥٠﴾ قَالَ قَآئِلٌ مِّنْهُمْ إِنِّى كَانَ لِى قَرِينٌ﴿٥١﴾ يَقُولُ أَءِنَّكَ لَمِنَ ٱلْمُصَدِّقِينَ﴿٥٢﴾ أَءِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا وَعِظَٰمًا أَءِنَّا لَمَدِينُونَ﴿٥٣﴾ قَالَ هَلْ أَنتُم مُّطَّلِعُونَ﴿٥٤﴾ فَٱطَّلَعَ فَرَءَاهُ فِى سَوَآءِ ٱلْجَحِيمِ﴿٥٥﴾ قَالَ تَٱللَّهِ إِن كِدتَّ لَتُرْدِينِ﴿٥٦﴾ وَلَوْلَا نِعْمَةُ رَبِّى لَكُنتُ مِنَ ٱلْمُحْضَرِينَ﴿٥٧﴾

उनके वास्ते (बेहिश्त में) एक मुक़र्रर रोज़ी होगी (और वह भी ऐसी वैसी नहीं) हर क़िस्म के मेवे और वह लोग बड़ी इज्ज़त से नेअमत के (लदे हुए) बाग़ों में तख्तों पर (चैन से) आमने सामने बैठे होगे उनमें साफ सफेद बुर्राक़ शराब के जाम का दौर चल रहा होगा जो पीने वालों को बड़ा मज़ा देगी (और फिर) न उस शराब में ख़ुमार की वजह से) दर्द सर होगा और न वह उस (के पीने) से मतवाले होंगे और उनके पहलू में (शर्म से) नीची निगाहें करने वाली बड़ी बड़ी ऑंखों वाली परियाँ होगी (उनकी) गोरी-गोरी रंगतों में हल्की सी सुर्ख़ी ऐसी झलकती होगी गोया वह अन्डे हैं जो छिपाए हुए रखे हो फिर एक दूसरे की तरफ मुतावज्जे पाकर बाहम बातचीत करते करते उनमें से एक कहने वाला बोल उठेगा कि (दुनिया में) मेरा एक दोस्त था और (मुझसे) कहा करता था कि क्या तुम भी क़यामत की तसदीक़ करने वालों में हो (भला जब हम मर जाएँगे) और (सड़ गल कर) मिट्टी और हव्ी (होकर) रह जाएँगे तो क्या हमको दोबारा ज़िन्दा करके हमारे (आमाल का) बदला दिया जाएगा (फिर अपने बेहश्त के साथियों से कहेगा) तो क्या तुम लोग भी (मेरे साथ उसे झांक कर देखोगे) ग़रज़ झाँका तो उसे बीच जहन्नुम में (पड़ा हुआ) देखा (ये देख कर बेसाख्ता) बोल उठेगा कि खुदा की क़सम तुम तो मुझे भी तबाह करने ही को थे और अगर मेरे परवरदिगार का एहसान न होता तो मैं भी (इस वक्त) तेरी तरह जहन्नुम में गिरफ्तार किया गया होता

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