Surat Al-Waaqia (The Inevitable) - الواقعة
Home > > >
56:27 وَأَصْحَٰبُ ٱلْيَمِينِ مَآ أَصْحَٰبُ ٱلْيَمِينِ ﴿٢٧﴾ فِى سِدْرٍ مَّخْضُودٍ﴿٢٨﴾ وَطَلْحٍ مَّنضُودٍ﴿٢٩﴾ وَظِلٍّ مَّمْدُودٍ﴿٣٠﴾ وَمَآءٍ مَّسْكُوبٍ﴿٣١﴾ وَفَٰكِهَةٍ كَثِيرَةٍ﴿٣٢﴾ لَّا مَقْطُوعَةٍ وَلَا مَمْنُوعَةٍ﴿٣٣﴾ وَفُرُشٍ مَّرْفُوعَةٍ﴿٣٤﴾ إِنَّآ أَنشَأْنَٰهُنَّ إِنشَآءً﴿٣٥﴾ فَجَعَلْنَٰهُنَّ أَبْكَارًا﴿٣٦﴾ और दाहिने हाथ वाले (वाह) दाहिने हाथ वालों का क्या कहना है बे काँटे की बेरो और लदे गुथे हुए केलों और लम्बी लम्बी छाँव और झरनो के पानी और अनारों मेवो में होंगें जो न कभी खत्म होंगे और न उनकी कोई रोक टोक और ऊँचे ऊँचे (नरम गद्दो के) फ़र्शों में (मज़े करते) होंगे (उनको) वह हूरें मिलेंगी जिसको हमने नित नया पैदा किया है तो हमने उन्हें कुँवारियाँ प्यारी प्यारी हमजोलियाँ बनाया | ||