Surat Al-Haaqqa (The Reality) - الحاقة
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69:29 هَلَكَ عَنِّى سُلْطَٰنِيَهْ ﴿٢٩﴾ خُذُوهُ فَغُلُّوهُ﴿٣٠﴾ ثُمَّ ٱلْجَحِيمَ صَلُّوهُ﴿٣١﴾ ثُمَّ فِى سِلْسِلَةٍ ذَرْعُهَا سَبْعُونَ ذِرَاعًا فَٱسْلُكُوهُ﴿٣٢﴾ إِنَّهُۥ كَانَ لَا يُؤْمِنُ بِٱللَّهِ ٱلْعَظِيمِ﴿٣٣﴾ وَلَا يَحُضُّ عَلَىٰ طَعَامِ ٱلْمِسْكِينِ﴿٣٤﴾ فَلَيْسَ لَهُ ٱلْيَوْمَ هَٰهُنَا حَمِيمٌ﴿٣٥﴾ وَلَا طَعَامٌ إِلَّا مِنْ غِسْلِينٍ﴿٣٦﴾ لَّا يَأْكُلُهُۥٓ إِلَّا ٱلْخَٰطِـُٔونَ﴿٣٧﴾ (हाए) मेरी सल्तनत ख़ाक में मिल गयी (फिर हुक्म होगा) इसे गिरफ्तार करके तौक़ पहना दो फिर इसे जहन्नुम में झोंक दो, फिर एक ज़ंजीर में जिसकी नाप सत्तर गज़ की है उसे ख़ूब जकड़ दो (क्यों कि) ये न तो बुज़ुर्ग ख़ुदा ही पर ईमान लाता था और न मोहताज के खिलाने पर आमादा (लोगों को) करता था तो आज न उसका कोई ग़मख्वार है और न पीप के सिवा (उसके लिए) कुछ खाना है जिसको गुनेहगारों के सिवा कोई नहीं खाएगा तो मुझे उन चीज़ों की क़सम है | ||