Surat An-Naazi'aat (Those who drag forth) - النازعات
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79:6 يَوْمَ تَرْجُفُ ٱلرَّاجِفَةُ ﴿٦﴾ تَتْبَعُهَا ٱلرَّادِفَةُ﴿٧﴾ قُلُوبٌ يَوْمَئِذٍ وَاجِفَةٌ﴿٨﴾ أَبْصَٰرُهَا خَٰشِعَةٌ﴿٩﴾ يَقُولُونَ أَءِنَّا لَمَرْدُودُونَ فِى ٱلْحَافِرَةِ﴿١٠﴾ أَءِذَا كُنَّا عِظَٰمًا نَّخِرَةً﴿١١﴾ قَالُوا۟ تِلْكَ إِذًا كَرَّةٌ خَاسِرَةٌ﴿١٢﴾ فَإِنَّمَا هِىَ زَجْرَةٌ وَٰحِدَةٌ﴿١٣﴾ فَإِذَا هُم بِٱلسَّاهِرَةِ﴿١٤﴾ फिर (दुनिया के) इन्तज़ाम करते हैं (उनकी क़सम) कि क़यामत हो कर रहेगी जिस दिन ज़मीन को भूचाल आएगा फिर उसके पीछे और ज़लज़ला आएगा उस दिन दिलों को धड़कन होगी उनकी ऑंखें (निदामत से) झुकी हुई होंगी कुफ्फ़ार कहते हैं कि क्या हम उलटे पाँव (ज़िन्दगी की तरफ़) फिर लौटेंगे क्या जब हम खोखल हड्डियाँ हो जाएँगे कहते हैं कि ये लौटना तो बड़ा नुक़सान देह है वह (क़यामत) तो (गोया) बस एक सख्त चीख़ होगी और लोग शक़ बारगी एक मैदान (हश्र) में मौजूद होंगे | ||