Surat Abasa (He frowned) - عبس
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80:25 أَنَّا صَبَبْنَا ٱلْمَآءَ صَبًّا ﴿٢٥﴾ ثُمَّ شَقَقْنَا ٱلْأَرْضَ شَقًّا﴿٢٦﴾ فَأَنۢبَتْنَا فِيهَا حَبًّا﴿٢٧﴾ وَعِنَبًا وَقَضْبًا﴿٢٨﴾ وَزَيْتُونًا وَنَخْلًا﴿٢٩﴾ وَحَدَآئِقَ غُلْبًا﴿٣٠﴾ وَفَٰكِهَةً وَأَبًّا﴿٣١﴾ مَّتَٰعًا لَّكُمْ وَلِأَنْعَٰمِكُمْ﴿٣٢﴾ कि हम ही ने (बादल) से पानी बरसाया फिर हम ही ने ज़मीन (दरख्त उगाकर) चीरी फाड़ी फिर हमने उसमें अनाज उगाया और अंगूर और तरकारियाँ और ज़ैतून और खजूरें और घने घने बाग़ और मेवे और चारा (ये सब कुछ) तुम्हारे और तुम्हारे चारपायों के फायदे के लिए (बनाया) | ||