Surat At-Takwir (The Overthrowing) - التكوير
Home > > >
81:1 بِسْمِ ٱللَّهِ ٱلرَّحْمَٰنِ ٱلرَّحِيمِ إِذَا ٱلشَّمْسُ كُوِّرَتْ ﴿١﴾ وَإِذَا ٱلنُّجُومُ ٱنكَدَرَتْ﴿٢﴾ وَإِذَا ٱلْجِبَالُ سُيِّرَتْ﴿٣﴾ وَإِذَا ٱلْعِشَارُ عُطِّلَتْ﴿٤﴾ وَإِذَا ٱلْوُحُوشُ حُشِرَتْ﴿٥﴾ وَإِذَا ٱلْبِحَارُ سُجِّرَتْ﴿٦﴾ وَإِذَا ٱلنُّفُوسُ زُوِّجَتْ﴿٧﴾ وَإِذَا ٱلْمَوْءُۥدَةُ سُئِلَتْ﴿٨﴾ بِأَىِّ ذَنۢبٍ قُتِلَتْ﴿٩﴾ وَإِذَا ٱلصُّحُفُ نُشِرَتْ﴿١٠﴾ जिस वक्त आफ़ताब की चादर को लपेट लिया जाएगा और जिस वक्त तारे गिर पडेग़ें और जब पहाड़ चलाए जाएंगें और जब अनक़रीब जनने वाली ऊंटनियों बेकार कर दी जाएंगी और जिस वक्त वहशी जानवर इकट्ठा किये जायेंगे और जिस वक्त दरिया आग हो जायेंगे और जिस वक्त रुहें हवियों से मिला दी जाएंगी और जिस वक्त ज़िन्दा दर गोर लड़की से पूछा जाएगा कि वह किस गुनाह के बदले मारी गयी और जिस वक्त (आमाल के) दफ्तर खोले जाएं | ||