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<-Blessing upon the Attesters to the Messengers

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His Supplication in Calling down Blessings upon the Followers of, and Attesters to, the Messengers

iهم

اَللَّهُمَّ وَأَتْبَاعُ الرُّسُلِ وَمُصَدِّقُوهُمْ
ऐ अल्लाह! तू अहले ज़मीन से रसूलों की पैरवी करने वालों और उन मोमेनीन को
مِنْ أَهْلِ الاَرْضِ بِالْغَيْبِ عِنْدَ مُعَارَضَةِ الْمُعَـانِدينَ لَهُمْ
जो ग़ैब की रू से उन पर ईमान लाए उस वक़्त के जब दुश्मन उनके झुठलाने के दरपै थे
بِالتَّكْذِيبِ وَالاشْتِيَاقِ إلَى الْمُرْسَلِينَ بِحَقائِقِ الايْمَانِ .
और उस वक़्त के जब वह ईमान की हक़ीक़तों की रोशनी में उनके (ज़ुहूर के) मुश्ताक़ थे
فِي كُلِّ دَهْر وَزَمَان أَرْسَلْتَ فِيْهِ رَسُولاً، وَأَقَمْتَ لاهْلِهِ دَلِيلاً،
हर उस दौर और हर उस ज़माने में जिसमें तूने कोई रसूल भेजा और वक़्त के लोगों के लिये कोई रहनुमा मुक़र्रर किया
مِنْ لَدُنْ آدَمَ إلَى مُحَمَّد صَلَّى الله عَلَيْهِ وَآلِـهِ مِنْ أَئِمَّةِ الْهُـدَى،
हज़रत आदम (अ0) के वक़्त से लेकर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम के अहद तक जो हिदायत के पेशवा
وَقَادَةِ أَهْـلِ التُّقَى عَلَى جَمِيعِهِمُ السَّلاَمُ،
और साहेबाने तक़वा के सरबराह थे
فَاذْكُرْهُمْ مِنْكَ بِمَغْفِرَة وَرِضْوَان.
उनको अपनी मग़फ़ेरत और ख़ुशनूदी के साथ याद फ़रमा
اَللَّهُمَّ وَأَصْحَابُ مُحَمَّد خَاصَّةً الَّـذِينَ أَحْسَنُوا الصَّحَابَةَ،
बारे इलाहा! ख़ुसूसियत से असहाबे मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम में से वह अफ़राद जिन्होंने पूरी तरह पैग़म्बर (स0) का साथ दिया
وَالَّذِينَ أَبْلَوْا الْبَلاَءَ الْحَسَنَ فِي نَصْرِهِ،
और उनकी नुसरत में पूरी शुजाअत का मुज़ाहेरा किया
وَكَانَفُوهُ وَأَسْرَعُوا إلَى وِفَادَتِهِ وَسَابَقُوا إلَى دَعْوَتِهِ
और उनकी मदद पर कमरबस्ता रहे और उन पर ईमान लाने में जल्दी
واسْتَجَابُوا لَهُ حَيْثُ أَسْمَعَهُمْ حجَّةَ رِسَالاَتِهِ،
और उनकी दावत की तरफ़ सबक़त की
وَفَارَقُوا الازْوَاجَ وَالاوْلادَ فِي إظْهَارِ كَلِمَتِهِ،
और जब पैग़म्बर (स0) ने अपनी रिसालत की दलीलें उनके गोशगुज़ार की ंतो उन्होंने लब्बैक कहा और उनका बोलबाला करने के लिये बीवी बच्चों को छोड़ दिया
وَقَاتَلُوا الاباءَ وَ الابناءَ فِي تَثْبِيتِ نبُوَّتِهِ،
और अम्रे नबूवत के इस्तेहकाम के लिये बाप और बेटों तक से जंगें कीं
وَانْتَصَرُوا بهِ وَمَنْ كَانُوا مُنْطَوِينَ عَلَى
और नबी-ए-अकरम (स0) के वजूद की बरकत से काम याबी हासिल की,
مَحبَّتِهِ يَرْجُونَ تِجَارَةً لَنْ تَبُورَ فِي مَوَدَّتِهِ،
इस हालत में के उनकी मोहब्बत दिल के हर रग व रेशे में लिये हुए थे और उनकी मोहब्बत व दोस्ती में ऐसी नफ़ा बख़्श तिजारत के मुतवक़्क़ो थे जिसमें कभी नुक़सान न हो
وَالّذينَ هَجَرَتْهُمُ العَشَائِرُ إذْ تَعَلَّقُوا بِعُرْوَتِهِ،
और जब उनके दीन के बन्धन से वाबस्ता हुए तो उनके क़ौम क़बीले ने उन्हें छोड़ दिया।
وَانْتَفَتْ مِنْهُمُ الْقَرَاباتُ إذْ سَكَنُوا فِي ظلِّ قَرَابَتِهِ
और जब उनके सायए क़र्ब में सन्ज़िल की तो अपने बेगाने हो गए
فَلاَ تَنْسَ لَهُمُ اللّهُمَّ مَا تَرَكُوا لَكَ وَفِيكَ،
तो ऐ मेरे माबूद! उन्होंने तेरी ख़ातिर और तेरी राह में जो सब को छोड़ दिया तो (जज़ा के मौक़े पर) उन्हें फ़रामोश न कीजो
وَأَرْضِهِمْ مِنْ رِضْوَانِكَ وَبِمَا حَاشُوا الْخَلْقَ عَلَيْكَ،
और उनकी इस फ़िदाकारी के सिले में उन्हें अपनी ख़ुशनूदी से सरफ़राज़ व शाद काम फ़रमा
وَكَانُوا مَعَ رَسُولِكَ دُعَاةً لَكَ إلَيْكَ،
और ख़ल्क़े ख़ुदा को तेरे दीन पर जमा करने और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम के साथ दाई हक़ बन कर खड़ा होने
وَاشكُرْهُمْ عَلَى هَجْرِهِمْ فِيْكَ دِيَارَ قَوْمِهِمْ،
और उन्हें इस अम्र पर भी जज़ा दे के उन्होंने तेरी ख़ातिर अपने क़ौम क़बीले के शहरों से हिजरत की
وَخُرُوجِهِمْ مِنْ سَعَةِ الْمَعَاشِ إلَى ضِيْقِهِ،
और वुसअते मआश से तंगीए मआश में जा पड़े
وَمَنْ كَثَّرْتَ فِي إعْزَازِ دِيْنِـكَ مِنْ مَظْلُومِهِمْ.
और यूं ही उन मज़लूमों की ख़ुशनूदी का सामान करके जिनकी तादाद को तूने अपने दीन को ग़लबा देने के लिये बढ़ाया
ألّهُمَّ وَأوْصِلْ إلَى التَّابِعِينَ لَهُمْ بِإحْسَان الَّذِينَ يَقُولُونَ :
बारे इलाहा! जिन्होंने असहाबे रसूल (स0) की अहसन तरीक़ से पैरवी की उन्हें बेहतरीन जज़ाए ख़ैर दे जो हमेशा यह दुआ करते रहे के
رَبَّنَا اغْفِرْ لَنَا وَلاخْوَانِنَا الَّذِيْنَ سَبَقُونَا بِالاِيمَانِ خَيْرَ جَزَائِكَ،
'ऐ हमारे परवरदिगार! तू हमें और हमारे उन भाइयों को बख़्श दे जो ईमान लाने में हमसे सबक़त ले गये'
الَّذِينَ قَصَدُوا سَمْتَهُمْ، وَتَحَرَّوْا وِجْهَتَهُمْ، وَمَضَوْا عَلى شاكِلَتِهِمْ،
और जिनका सतहे नज़र असहाब का तरीक़ रहा और उन्हीं का तौर तरीक़ा इख़्तेयार किया औन उन्हीं की रविश पर गामज़न हुए
لَمْ يَثْنِهِمْ رَيْبٌ فِي بَصِيْرَتِهِمْ، وَلَمْ يَخْتَلِجْهُمْ شَكٌّ
उनकी बसीरत में कभी शुबह का गुज़र नहीं हुआ के उन्हें (राहे हक़ से) मुन्हरिफ़ करता
فِي قَفْوِ آثَارِهِمْ وَالاِئْتِمَامِ بِهِدَايَةِ مَنَارِهِمْ،
और उनके नक़शे क़दम पर गाम फ़रमाई और उनके रौशन तर्ज़े अमल की इक़्तेदार में उन्हीं की शक व तरद्दुद ने परेशान नहीं किया
مُكَانِفِينَ وَمُوَازِرِيْنَ لَهُمْ، يَدِيْنُونَ بِدِيْنِهِمْ، وَيَهْتَدُونَ بِهَدْيِهِمْ،
वह असहाबे नबी (स0) के मआवुन व दोस्तगीर और दीन में उनके पैरोकार और सीरत व इख़लाक़ में उनसे दर्स आमोज़ रहे
يَتَّفِقُونَ عَلَيْهِمْ، وَلاَ يَتَّهِمُونَهُمْ فِيمَا أدَّوْا إلَيْهِمْ.
और हमेशा उनके हमनवा रहे और उनके पहँुचाए हुए एहकाम में उन पर कोई इल्ज़ाम न वुसरा।
ألَّلهُمَّ وَصَلِّ عَلَى التّابِعِيْنَ مِنْ يَوْمِنَا هَذا إلى يَوْم الدِّينِ،
बारे इलाहा! उन ताबेईन पर आज से लेकर रोज़े क़यामत तक दूरूद व रहमत भेज
وَعَلَى أزْوَاجِهِمْ، وَعَلَى ذُرِّيَّاتِهِمْ،
और उनकी अज़वाज और आल व औलाद पर
وَعَلَى مَنْ أَطَاعَكَ مِنْهُمْ صَلاْةً تَعْصِمُهُمْ بِهَامِنْ مَعْصِيَتِكَ،
और उनमें से जो तेरे फ़रमाँबरदार व मुतीअ हैं उनपर ऐसी रहमत जिसके ज़रिये तू उन्हें मासियत से बचाए।
وَتَفْسَحُ لَهُمْ فِي رِيَاضِ جَنَّتِكَ، وَتَمْنَعُهُمْ بِهَا مِنْ كَيْدِ الشَيْطَانِ،
जन्नत के गुलज़ारों में फ़राख़ी व वुसअत दे। शैतान के मक्र से महफ़ूज़ा रख
وَتُعِينُهُمْ بِهَا عَلَى مَا اسْتَعَانُوكَ عَلَيْهِ مِنْ بِرٍّ،
और जिस कारे ख़ैर में तुझसे मदद चाहें उनकी मदद कर
وَتَقِيهِمْ طَوَارِقَ اللَّيْلِ وَالنَّهَارِ إلاّ طَارِقاً يَطْرُقُ بِخَيْر،
और शब व रोज़ के हवादिस से सिवाए किसी नवीदे ख़ैर के इनकी निगेहदाश्त करे
وَتَبْعَثُهُمْ بِهَا عَلَى اعْتِقَادِ حُسْنِ الرَّجَـاءِ لَكَ،
और इस बात पर उन्हें आमादा करे के वह तुझसे हुस्ने उम्मीद का अक़ीदा वाबस्ता रखें
وَالطَّمَعِ فِيمَا عِنْدَكَ، وَتَرْكِ النُّهَمَةِ فِيمَا تَحْويهِ
और तेरे हाँ की नेमतों की ख़्वाहिश करें और बन्दों के हाथों में फ़राख़ी नेमत को देखकर तुझ पर (बे इन्साफ़ी का) इल्ज़ाम न धरें
أيْدِي الْعِبَادِ لِتَرُدَّهُمْ إلَى الرَّغْبَةِ إلَيْكَ وَالرَّهْبَةِ مِنْكَ،
ताके उनका रूख़ अपने उम्मीद व बीम की तरफ़ फेर दे
وَتُزَهِّدُهُمْ فِي سَعَةِ العَاجِلِ وَتُحَبِّبُ إلَيْهِمُ
और दुनिया की वुसअत व फ़राख़ी से बे तअल्लुक़ कर दे
الْعَمَلَ لِلاجِلِ، وَالاسْتِعْدَادَ لِمَا بَعْدَ الْمَوْتِ وَتُهَوِّنَ عَلَيْهِمْ
और अमले आख़ेरत और मौत के बाद की मन्ज़िल का साज़ व बर्ग मुहय्या करना उनकी निगाहों में ख़ुश आईन्द बना दे
كُلَّ كَرْب يَحُلُّ بِهِمْ يَوْمَ خُـرُوجِ الانْفُسِ مِنْ أَبْدَانِهَا
और रूहों के जिस्मों से जुदा होने के दिन हर कर्ब व अन्दोह जो उन पर वारिद हो आसान कर दे
وَتُعَافِيَهُمْ مِمَّا تَقَعُ بِهِ الْفِتْنَةُ مِنْ مَحْذُورَاتِهَا،
और फ़ित्ना व आज़माईश से पैदा होने वाले ख़तरात
وَكَبَّةِ النَّارِ وَطُولِ الْخُلُودِ فِيهَا،
और जहन्नुम की शिद्दत और इसमें हमेशा पड़े रहने से निजात दे
وَتُصَيِّرَهُمْ إلَى أَمْن مِنْ مَقِيلِ الْمُتَّقِينَ .
और उन्हें जा-ए अमन की तरफ़ जो परहेज़गारों की आसाइशगाह है, मुन्तक़िल कर दे।

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