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<-Dua for 3rd Shaban

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Its recommended to recite this dua on the 3rd of Shaban, as Imam Husain was born on this day.

اَللّٰھُمَّ إِنِّی أَسْأَ لُکَ بِحَقِّ الْمَوْلُودِ فِی ھذَا الْیَوْمِ
ऐ माबूद! बेशक मै तुझ से सवाल करता हूँ आज के दिन, पैदा होने वाले मौलूद के वास्ते से
الْمَوْعُودِ بِشَهَادَتِهِ قَبْلَ ٱسْتِهْلالِهِ وَوِلادَتِهِ
के जिस के पैदा होने और दुनया में आने से पहले ईस से शहादत का वादा लिया गया,
بَکَتْہُ السَّماءُ وَمَنْ فِيهَا
तो इसपर आसमान रोया और जो कुछ इसमें है रोये
وَالْاَرْضُ وَمَنْ عَلَيْهَا
और ज़मीन और जो कुछ इसपर है रोये
وَلَمَّا یَطَأْ لابَتَيْهَا
जबकि इसने मदीने की ज़मीन पर क़दम न रखा था
قَتِیلِ الْعَبْرَةِ
वो गिरया वाला शहीद
وَسَیِّدِ الْاُسْرَةِ
और कामयाब व कामरान ख़ानदान का सैय्यद व सरदार है
الْمَمْدُودِ بِالنُّصْرَةِ یَوْمَ الْکَرَّةِ
रज''अत के दिन, यह इसकी शहादत का बदला है
الْمُعَوَّضِ مِنْ قَتْلِهِ أَنَّ الْاَئِمَّةَ مِنْ نَسْلِهِ
की पाक अ''ईम्मा (अ:स) ईस की औलाद में से हुए
وَالشِّفاءَ فِی تُرْبَتِهِ
इसकी ख़ाके क़ब्र में शिफ़ा है
وَالْفَوْزَ مَعَهُ فِی أَ وْبَتِهِ
और इसकी बाज़''गुज़श्त में कामयाबी, इसी क लिये है
وَالْاَوْصِیاءَ مِنْ عِتْرَتِهِ
और औसिया इसी की औलाद में से हैं,
بَعْدَ قَائِمِهِمْ وَغَيْبَتِهِ
के इसमें से क़ायेम की ग़ैबत खत्म होने के बाद
حَتّی یُدْرِکُوا الْاَوْتارَ
वो अपने खून का बदला
وَیَثْأَرُوا الثَّارَ
और इंतकाम लेकर तलाफ़ी करने वाले
وَیُرْضُوا الْجَبَّارَ
ख़ुदा क़ो राज़ी करेंगे
وَیَکُونُوا خَیْرَ أَنْصارٍ
और बेहतेरीन मददगार साबित होंगे,
صَلَّىٰ ٱللَّهُ عَلَيْهِمْ مَعَ ٱخْتِلافِ ٱللَّيْلِ وَٱلنَّهَارِ
और दरूद हो ईन सब पर जब तक रात दिन आते जाते रहे,
اَللَّهُمَّ فَبِحَقِّهِمْ إِلَیْکَ أَ تَوَسَّلُ
ऐ माबूद ईन का हक़ जो तुझ पर है, इसे वसीला बनाता हूँ
وَأَسْأَلُ سُؤالَ مُقْتَرِفٍ مُعْتَرِفٍ
और सवाल करता हूँ अपने गुनाह तस्लीम करने वाले की तरह
مُسِیءٍ إِلی نَفْسِهِ
की जिस ने अपने नफ़स से बुराई की है
مِمَّا فَرَّطَ فِی يَوْمِهِ وَأَ مْسِهِ
आज के दिन और गुज़री हुई रात में
یَسْأَ لُکَ الْعِصْمَةَ إِلی مَحَلِّ رَمْسِهِ
तो वो सवाल करता है अपनी मौत के दिन तक के लिये!
اَللّٰھُمَّ فَصَلِّ عَلی مُحَمَّدٍ وَعِتْرَتِهِ
ऐ माबूद! बस हज़रत मोहम्मद (स:अ:व:व) और इनके ख़ानदान (अ:स) पर रहमत नाज़िल फ़रमा
وَاحْشُرْنا فِی زُمْرَتِهِ
और हमें इनके गिरोह में शामिल फ़रमा
وَبَوّئْنا مَعَهُ دارَالْکَرامَةِ،
और हमें बुज़ुर्गी वाले घर और जाए क़याम के सिलसिले में
وَمَحَلَّ الْاِقامَةِ۔
इनके साथ जगह दे!
اَللّٰھُمَّ وَکَما أَکْرَمْتَنا بِمَعْرِفَتِهِ
ऐ माबूद! जैसे तुने इनकी मारेफत के साथ हमें इज़्ज़त दी
فَأَکْرِمْنا بِزُلْفَتِهِ
इसी तरह इनकी नज़दीकी से भी नवाज़,
وَارْزُقْنا مُرَافَقَتَهُ وَسَابِقَتَهُ
और हमें इनकी रहनुमाई अता कर, और इनकी हमराही नसीब फ़रमा,
وَاجْعَلْنا مِمَّنْ یُسَلِّمُ لِاِمْرِهِ
हमें ईन लोगों में क़रार दे जो इनका हुकुम मानते
وَیُکْثِرُ الصَّلاةَ عَلَيْهِ عِنْدَ ذِكْرِهِ
और इनके ज़िक्र के वक़्त ब''कसरत (ज़्यादा से ज़्यादा) दरूद भेजते हैं
وَعَلی جَمِیعِ أَ وْصِيَائِهِ
, और इनके सारे जा''नशीनों पर
وَأَھْلِ أَصْفِيَائِهِ
और बर''गज़ीदा अहले ख़ानदान पर
الْمَمْدُودِینَ مِنْکَ بِالْعَدَدِ الاثْنَی عَشَرَ
जिनकी तादाद (गिनती) क़ो तुने बारह तक पूरा फ़रमाया है,
النُّجُومِ الزُّھَرِ
जो चमकते हुए सितारे हैं
وَالْحُجَجِ عَلی جَمِیعِ الْبَشَرِ
और वो तमाम इंसानों पर ख़ुदा की हुज''जत हैं!
اَللَّهُمَّ وَهَبْ لَنَا فِي هٰذَا ٱلْيَوْمِ خَيْرَ مَوْهِبَةٍ
ऐ माबूद! आज के दिन हमें बेहतरीन अताओं से सरफ़राज़ फ़रमा,
وَأَ نْجِحْ لَنا فِيهِ کُلَّ طَلِبَةٍ
और हमारी सभी हाजात पूरी करदे,
کَما وَھَبْتَ الْحُسَیْنَ لُِمحَمَّدٍ جَدِّهِ
जैसे तूने हुसैन (अ:स) के नाना हज़रत मोहम्मद (स:अ:व:व) क़ो खुद हुसैन (अ:स) अता फ़रमाये थे
وَعاذَ فُطْرُسُ بِمَهْدِهِ،
और जैसे फितरुस ने इनके गहवारे (झूले) की पनाह ली,
فَنَحْنُ عَائِذُونَ بِقَبْرِهِ مِنْ بَعْدِهِ
बस हम इनके रौज़े की पनाह लेते हैं इनके बाद
نَشْهَدُ تُرْبَتَهُ وَنَنْتَظِرُ أَ وْبَتَهُ
अब हम इनके रौज़े की ज़्यारत करते हैं और इनकी रज''अत के मुन्तज़िर हैं
آمِینَ رَبَّ الْعالَمِینَ
ऐसा ही हो ऐ जहानों के पालने वाले!

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